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49 कॉलेजों की जांच कर मान्यता दी, हकीकत में उन्होंने अपना ही रिकॉर्ड नहीं जांचा
इंदौर- मप्र नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल ने हाई कोर्ट में दिए शपथ पत्र में 49 कॉलेजों का निरीक्षण कर मान्यता देने का दावा किया है, लेकिन हकीकत में उन्होंने अपना ही रिकॉर्ड नहीं जांचा। क्योंकि मान्यता के लिए कॉलेजों ने भवन, लैब आदि के जो फोटो लगाए हैं, वे ही काउंसिल के दावों की हवा निकाल रहे हैं। काउंसिल ने वेयर हाउस, इंजीनियरिंग व बीएड कॉलेज में ही नर्सिंग की मान्यता दे दी। कुछ भवन मालिक ऐसे हैं, जिन्हें खुद नहीं पता उनके भवन के नाम नर्सिंग कॉलेज की मान्यता ली गई है।
इंदौर के फैकल्टी चार शहरों में पढ़ा रहे
काउंसिल द्वारा जिन 49 कॉलेजों को मान्यता दी है उनमें तीन इंदौर के भी हैं। इनमें मो. मजहर जहान इंदौर के परिजात कॉलेज, मुरैना एवं जबलपुर के कॉलेजों में वाइस प्रिंसिपल, ग्वालियर व बैतूल में एसो. प्रोफेसर हैं। विष्णुकुमार स्वारंकर सफायर कॉलेज इंदौर, मंडला, जबलपुर में प्रिंसिपल, जगदगुरु दत्तात्रेय एवं सागर के कॉलेज में प्रोफेसर, भोपाल में वाइस प्रिंसिपल हैं।
काउंसिल का ये कैसा इंस्पेक्शन?
सीधी के क्राइस्ट ज्योति कॉलेज के रिकॉर्ड में जो फोटो है वह निजी मकान है। वेयर हाउस पर कॉलेज का बोर्ड है।
ग्वालियर के जेएसएस कॉलेज के दो फोटो हैं, उनमें एक गोडाउन, लैब के नाम पर वाशरूम का फोटो है।
भोपाल के अपेक्स कॉलेज ने कोपल कॉलेज, फ्लोरेंस ने विक्टोरिया बीएड कॉलेज का फोटो लगा दिया है। आरकेएस ने 3000 वर्गफीट के मकान को 20 हजार का बता दिया है।